Amritvani Lyrics
अर्थ: कबीर कहते हैं – अज्ञान की नींद में सोए क्यों रहते हो? ज्ञान की जागृति को हासिल कर प्रभु का नाम लो।सजग होकर प्रभु का ध्यान करो।वह दिन दूर नहीं जब तुम्हें गहन निद्रा में सो ही जाना है – जब तक जाग सकते हो जागते क्यों नहीं? प्रभु का नाम स्मरण क्यों नहीं करते?
Durga Amritvani Lyrics
New movie song mp3 download 320kbps. –33– आछे / पाछे दिन पाछे गए हरी से किया न हेत । अब पछताए होत क्या, चिडिया चुग गई खेत ।। अर्थ: देखते ही देखते सब भले दिन – अच्छा समय बीतता चला गया – तुमने प्रभु से लौ नहीं लगाई – प्यार नहीं किया समय बीत जाने पर पछताने से क्या मिलेगा? पहले जागरूक न थे – ठीक उसी तरह जैसे कोई किसान अपने खेत की रखवाली ही न करे और देखते ही देखते पंछी उसकी फसल बर्बाद कर जाएं। –34– रात गंवाई सोय के, दिवस गंवाया खाय । हीरा जन्म अमोल सा, कोड़ी बदले जाय ॥ अर्थ: रात नींद में नष्ट कर दी – सोते रहे – दिन में भोजन से फुर्सत नहीं मिली यह मनुष्य जन्म हीरे के सामान बहुमूल्य था जिसे तुमने व्यर्थ कर दिया – कुछ सार्थक किया नहीं तो जीवन का क्या मूल्य बचा? एक कौड़ी – –35– बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर। पंछी को छाया नहीं फल लागे अति दूर ॥ अर्थ: खजूर के पेड़ के समान बड़ा होने का क्या लाभ, जो ना ठीक से किसी को छाँव दे पाता है और न ही उसके फल सुलभ होते हैं। –36– हरिया जांणे रूखड़ा, उस पाणी का नेह। सूका काठ न जानई, कबहूँ बरसा मेंह॥ अर्थ: पानी के स्नेह को हरा वृक्ष ही जानता है.सूखा काठ – लकड़ी क्या जाने कि कब पानी बरसा? अर्थात सहृदय ही प्रेम भाव को समझता है. निर्मम मन इस भावना को क्या जाने? –37– झिरमिर- झिरमिर बरसिया, पाहन ऊपर मेंह। माटी गलि सैजल भई, पांहन बोही तेह॥ अर्थ: बादल पत्थर के ऊपर झिरमिर करके बरसने लगे.